जालंधर: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को हुआ था। हर साल इस तिथि को जन्माष्टमी मनाते हैं। उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासुदेव था। पुरी के ज्योतिषाचार्य आचार्य वैभव मिश्रा ने बताया हैं कि इस साल जन्माष्टमी कब है? जन्माष्टमी का मुहूर्त, मंत्र, भोग और तारीख क्या है? इस साल जन्माष्टमी के लिए 45 मिनट का शुभ समय है। जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, उस समय वृषभ राशि का चंद्रमा था। इस वजह से ही साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन व्रत रखा जाता है और मध्य रात्रि में भगवान लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
आचार्य जी ने जानकारी देते हुए बताया हैं कि इस साल जन्माष्टमी कब है? जन्माष्टमी का मुहूर्त, मंत्र, भोग और तारीख क्या है?वैदिक पंचांग के आधार पर देखा जाए तो इस साल 26 अगस्त को तड़के 3 बजकर 39 मिनट पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। यह तिथि 27 अगस्त को तड़के 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी 26 अगस्त दिन सोमवार को है।
26 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी के दिन मुहूर्त रात 12:01 ए एम से 12:45 ए एम तक है । यह निशिता मुहूर्त है। लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव के लिए इस साल 45 मिनट तक का शुभ समय है। उस दिन पूरे समय व्रत रखा जाएगा और फिर रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव होगा।
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए आप दो मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं. ये मंत्र नीचे दिए गए हैं।
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय.
- ओम कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः.
सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी जन्माष्टमी : आचार्य वैभव जी ने आगे बताया कि इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा और यह 27 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा ।
जन्माष्टमी का भोग : भगवान लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग बहुत पसंद है। इस वजह से जन्माष्टमी वाले दिन बाल श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके अलावा आप केसर वाला घेवर, पेड़ा, मखाने की खीर, रबड़ी, मोहनभोग, रसगुल्ला, लड्डू आदि का भोग लगा सकते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व : इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इस वजह से जन्माष्टमी का महत्व है। इसके अलावा भी नि:संतान दंपत्तियों के लिए जन्माष्टमी का पर्व काफी महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है कि जो लोग संतानहीन होते हैं, उनको जन्माष्टमी का व्रत रखकर लड्डू गोपाल की पूजा करनी चाहिए। उनकी कृपा से उस व्यक्ति को संतान की प्राप्ति हो सकती है l
आचार्य वैभव कृष्ण शास्त्री जी, श्री विश्वनाथ ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र