रोजाना24न्यूज़: शिव के रुद्राभिषेक के आश्चर्यजनक लाभ
रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी कि भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
👉रुद्राभिषेक से महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में पुण्य के साथ शिवत्व का उदय होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: ही हो जाती है।
👉रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि *सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका *अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं।
👉पदार्थों से रुद्राभिषेक के आश्चर्यजनक लाभ
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थो के जल से अभिषेक करने। परतनाव,अनिद्रा,मानसिक रोग ठीक हो जाता है।
• इत्र एवं गुलाब जल मिश्रित जल से अभिषेक करने से दरिद्रता बीमारी नष्ट एवं दीर्घायु होता है।
• सुख शांति एवं पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध सेरुद्राभिषेक से भाग्यशाली विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से पितृदोष कालसर्प दोष की शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है
• घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• फलों के रस से रुद्राभिषेक करने पर कर्जे से मुक्ति एवं अखंड धन का लाभ होता है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर ग्रह बाधा,विषम रोग,महापातक दूर हो जाते हैं ।
• सुखमय जीवन के लिए शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है किंतु यदि शिव के सिद्ध तीर्थ स्थल पर या ज्योतिर्लिंग, नर्वदेश्वर, स्फटिक, पारद के शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है। रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।
विद्वानों ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है रुद्राभिषेक से ब्रह्मांड शुद्ध होता है और सकारात्मक सोच ऊर्जा की वृद्धि होने से समग्र दुखों का समन एवं सफलतम जीवन सार्थक हो जाता है,वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में कहा गया कालसर्प योग, गृहक्लेश,व्यापार में नुकसान,शिक्षा,विवाह,पदोन्नति में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपकी अभीष्ट कामना सिद्धि के लिए फलदायक है।
स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है कि जब हम अभिषेक करते हैं तो स्वयं महादेव साक्षात उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं। हमें अक्षय पुण्य फल देते हैं जिससे संसार में ऐसी कोई भी दुर्लभ वस्तु, वैभव, सुख नहीं है, जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो सकता हैआतः सुखमय जीवन के लिए श्रावण मास मेंरुद्राभिषेक अवश्य ही कराना चाहिए।
👉श्रावण मास के श्रेष्ठ उत्तम सिद्ध प्रद शुभ मुहूर्त
संयोगवश श्रावण में इस बार चार सोमवार बेहद खास रहेंगे। चारों सोमवार पर कोई न कोई अति विशेष शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें पूजन,अर्चन,अनुष्ठान, रुद्राभिषेक,करने से इच्छित कामना,तत्काल पूर्ण होगी यह मुहूर्त लाभप्रद एवं सिद्ध दायक है ।
👉18 जुलाई सोमवार व्रत प्रारंभ रवि योग नाग पंचमी राजस्थान बंगाल
👉 25 जुलाई,सोमवार सोम प्रदोष सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत सिद्धि योग
👉26 जुलाई मास शिवरात्रि,उत्तम फलदाई आद्रा नक्षत्र,
1, अगस्त सोमवार गणपति व्रत वरद चतुर्थी रवि योग
2, नाग पंचमी कालसर्प योग पूजा
8, अगस्त सोमवार पवित्रा एकादशी
9, अगस्त भौम प्रदोष व्रत
महर्षि वेद विज्ञान विश्व विद्यापीठ के ज्योतिषाचार्य राजकिशोर शर्मा बताते हैं कि श्रावण मास का प्रारंभ प्रतिपदा पर सौम्य, बुधादित्य और हंस नाम के शुभ योग से हुआ था,साथ ही मंगल, बुध, गुरु और शनि स्व राशि में होने से इन ग्रहों का शुभ प्रभाव और बढ़ जाता है,वहीं, भगवान शिव का वास गौरी के पास रहेगा। जिससे रूद्राभिषेक भगवान शिव माता पार्वती गणेश कार्तिकेय के साथ गणों की पूजा साथ मैं करने से पाप,कष्ट,रोग सभी दुख बाधाएं,पातक,भूमि विवाद,शत्रुभय,कालसर्प दोष,व्यापार,शिक्षा,नौकरी मैं उन्नति,संतान सुख मैं रुकावट,जैसे दोष दूर होते हैं। औरआनंदपूर्ण जीवन मान प्रतिष्ठा सुख शांति समृद्धि मिलती है
👉शिव ही हैं, सृष्टि के संचालनकर्ता
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए छीर सागर मैं योग निद्रा विश्राम अवस्था में होने पर सृष्टि के संचालन का पूर्ण दायित्व देवउठनी एकादशी तक भगवान शिव के पास ही है। देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को होगी। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
🌹शिव जी को अप्रिय वस्तु न चढ़ाएं🌹
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा करते समय हल्दी,केतकी का फूल,तुलसी,शंख से जल,तांबे के लोटे से दूध,नारियल का पानी,कदापि न चढा़एं। इससे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
🌹इन सामग्रियों के अर्पण से होते हैं शीघ्र प्रसन्न🌹
भोलेनाथ को अति प्रिय है यह सामग्री इन दिव्य वस्तुओं को अर्पण से प्रभु सर्वस्व दे देते हैं, भोलेनाथ की पूजा स्वयं शिवमय होकर करना चाहिए,रुद्राक्ष की माला धारण करें,भष्म का त्रिपुंड लगाएं,बिल्लपत्र से अर्पण करें,मदार पुष्प,भांग,धतूल फल,शमी पत्र,गंगाजल,मलयागिरी चंदन का लेपन,गंगाजल,गाय का दूध एवं पंचामृत,कपूर, पूजन के साथ इनका थाली में होना जरूरी है और भोलेनाथ की आरती हमेशा कपूर से करना चाहिए कहते हैं रुद्राक्ष माला,बिना भस्म त्रिपुंड के एवं बिल्वपत्र अर्पण के बिना शिव पूजा निष्फल फल होती है । सोमवार के व्रत में फलों का जूस,सेंधा नमक कुट्टू सिंघाड़े के आटे से फलाहार बनाकर खा सकते हैं ।
🌹श्रावण मास में इन वस्तुओं का सेवन न करें🌹
श्रावण मास में शराब,मांस,हरा साग,लहसुन,प्याज,मूली,बैंगन,कटहल,और कढी़,तामसिक भोजन का सेवन न करें ।
👉श्रावण मास में शिव आराधना का विशेष है
रामनवमी पर भगवान श्री राम,जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का पूजन, नवरात्रि माँ दुर्गा का पूजन, दीपावली महालक्ष्मी मकर संक्रांति और छठ पूजा पर भगवान सूर्य का पूजन, एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना, गणेश चतुर्थी पर गणपति का पूजन, महाशिवरात्रि,संपूर्ण श्रावण मास, त्रयोदशी, प्रदोष, सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है।