चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर जेलों में बंद सभी विचाराधीन व सजा प्राप्त कैदियों का डोप टेस्ट करवाया जा रहा है। इसी के तहत शनिवार को जब जेल में इन कैदियों का डोप टेस्ट किया गया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। 1880 कैदियों के डोप टेस्ट में से 900 नशे की लत के शिकार पाए गए हैं। सलाखों में कैद पंजाब की जवानी को नशे की दीमक लग गई है। किसी न किसी रूप में नशा सेवन करने वाले इन कैदियों की रिपोर्ट देखकर शासन-प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। हालांकि इस संदर्भ में कोई अधिकारी पुष्टि करने को तैयार नहीं, लेकिन यह सोलह आने सच है। दरअसल, अमृतसर जेल में 3600 कैदी गुनाहों की सजा काट रहे हैं। शनिवार सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक 1880 कैदियों का डोप टेस्ट किया जा चुका था। देर शाम रिपोर्ट तैयार की गई तो तकरीबन 50 फीसदी कैदी नशे के शिकार पाए गए। सूत्रों की मानें तो ज्यादाकर कैदी अफीम, भुक्की सेवन के आदी हैं।
नशा पीड़ित 900 कैदियों में ऐसे भी हैं जो नशा मुक्ति के लिए सरकारी ओट सेंटर से दवा का सेवन कर रहे हैं। हालांकि नशा मुक्ति में प्रयुक्त होने वाली दवा में मारफीन की मात्रा पाई जाती है, जिस वजह से इनकी रिपोर्ट पाजिटिव आना लाजमी है। बड़ा सवाल: कैदियों तक कौन पहुंचाता है नशा?
अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कैदियों तक नशा पहुंचाता कौन है? पिछला रिकार्ड देखें तो नवंबर 2016 में तत्कालीन सरकार ने जेलों में हर सप्ताह चिकित्सा शिविर लगाने का क्रम शुरू किया था। इन शिविरों में नशा पीड़ित कैदियों की काउंसलिग कर दवाएं दी जाती रहीं। अफसोसनाक पक्ष यह रहा कि इतना सब कुछ करने के बाद भी कैदी नशा करने से बाज नहीं आ रहे। तब भी अमृतसर जेल के 700 से अधिक कैदी अफीम, हेरोइन, भुक्की व स्मैक जैसे खतरनाक नशों के आदी पाए गए थे। 2016 में तीन कर्मी नशा पहुंचाते पकड़े गए थे।