चंडीगढ़ः गुजरात पशुओं में फैली लंपी बीमारी अब पंजाब तक पहुंच चुकी है। इससे पहले राजस्थान के पशु भी इससे प्रभावित हो गए थे। वहीं पंजाब में लंबी स्किन बीमारी का असर दूध की सप्लाई पर दिखने लगा है हालांकि हालात अभी पूरी तरह से बेकाबू नहीं हुए हैं लेकिन आम जनता ने खुले में बिकने वाले डेयरी के दूध को छोड़कर पैकेट बंद ब्रांडेड कंपनियों के दूध को तवज्जो देना ज्यादा शुरू कर दिया है और कुछ लोग मिल्क पाउडर पर भी डाइवर्ट हो रहे हैं डेयरी मालिकों के मुताबिक उनकी दूध की बिक्री पर भी असर पड़ा है और जो दूध का उत्पादन भी थोड़ा कम हुआ है। जिसके बाद कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने राज्य सरकार से जानवरों के तुरंत इलाज के लिए 76 लाख रुपए की राशि जारी करवाई है।
गुजरात में 12 हजार और राजस्थान में 3 हजार पशुओं की गई जान
यह बीमारी एक महीना पहले गुजरात के अंदर पशुओं में देखने को मिली थी। उसके बाद बीमारी राजस्थान पहुंची। इस लाईलाज बीमारी ने गुजरात में 12 हजार और राजस्थान में 3 हजार पशुओं की जान ले ली। अब यह बीमारी पंजाब पहुंच गई है। इसका सबसे अधिक असर बॉर्डर एरिया के गांवों में देखने को मिल रहा है। कैबिनेट मिनिस्टर लालजीत सिंह भुल्लर ने खुद बॉर्डर एरिया के कई गांवों का दौरा करने के बाद बीमार पशुओं के इलाज के लिए 76 लाख रुपए जारी करवाए हैं।
10.6 लाख पशुओं को किया जा चुका वैक्सिनेट
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गुजरात और राजस्थान की तरह यह बीमारी पंजाब में बेकाबू हो गई तो राज्य में दूध का संकट खड़ा हो सकता है। लंपी बीमारी के पंजाब पहुंचने के बाद सरकार ने बॉर्डर एरिया के हर जिले को 5-5 लाख रुपए और अन्य जिलों के लिए 3-3 लाख रुपए जारी किए हैं। इस रकम से लंपी बीमारी से ग्रस्त जानवरों को दवा दी जाएगी। गुजरात में 12 हजार पशुओं की मौत के बाद वहां के 10.6 लाख पशुओं को वैक्सिनेट किया जा चुका है।
लंपी वायरस का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है। पशुओं को इससे बचाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उन्हें लंपी से प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोका जाए। लंपी के शिकार पशुओं को एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती हैं।