रोजाना24न्यूज़: हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस बार इसको लेकर लोगों के मन संशय है, राखी आखिर किस दिन बांधी जाएगी।
तो आईए जानते हैं शास्त्र सम्मत विचार
1.) रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाए
रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त को है या 12 अगस्त को इस बारे में लोगों के मन में काफी संशय है, ज्योतिषाचार्य राज किशोर शर्मा “राज गुरुजी” के अनुसार पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त की सुबह 10 बजकर 38 मिनट से 12 अगस्त की सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक ही है। अतः पूर्णिमा तिथि का अधिक प्रभाव 11 अगस्त को है इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
2.) भद्रा का वास एवं उसका फल
कलिकालवशात् पूर्णतः शुद्ध मुहूर्त्तादि का प्रायः प्रत्येक पर्व व्रत-त्योहारों के समय में संशय सा होता जा रहा है
रक्षाबन्धन का पावन त्योहार भी इस संशय से अछूता नहीं है। अतः इस सम्बन्ध में अति प्राचीन ग्रंथ धर्मशास्त्रों—निर्णयसिन्धु, धर्मसिन्धु आदि में इसके सम्बन्ध में स्पष्ट नियम निर्देश दिये है।
…अथ रक्षाबन्धनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूर्त्ताधिकोदयव्यापिन्यामपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम्। उदये त्रिमुहूर्त न्यूनत्वे पूर्वद्युर्भद्रारहिते प्रदोषादिकाले कार्यम् । (श्रावण शुक्ल पूर्णिमा तिथि को सूर्योदय से तीन मुहूर्त से अधिक व्याप्त तिथि में, भद्रा रहित अपराह्न या प्रदोषकाल में रक्षाबन्धन कार्य करना चाहिए। यदि सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त यानी 6 घटी =144 मिनट से कम हो तो पूर्वदिन भद्रारहित प्रदोष काल में रक्षाबन्धन करना चाहिए।” इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम प्रतिपदा में तो कदापि नहीं करना चाहिए।
इस बार रक्षाबंधन के सम्बन्ध में विचार करें।भद्रा के सम्बन्ध में एक-बात अवश्य जानने योग्य हैं मेषादि बारह राशियों के अनुसार क्रमशः भद्रा का वास स्वर्गलोक, भूलोक और पाताललोक में हुआ करता है। भद्रा के प्रभाव का नियम है कि जहाँ वास होता है, वहीं उसका शुभ अशुभ प्रभाव भी होता है, अन्यत्र नहीं। भद्रावाससूत्र है— कुम्भकर्कद्वये मर्त्ये स्वर्गेऽब्जेऽजात्त्रयेऽलिगे। स्त्रीधनुर्जूकनक्रेऽधो भद्रा तत्रैव तत्फलम्।। 11 तारीख को चंद्रमा मकर राशि पर है ( अर्थात् मकर के चन्द्रमा रहने पर पाताललोक में वास होता है )भद्रा का फल स्थानवत पाताल में होगा मृत्युलोक पृथ्वी पर नहीं होगा,तो ऐसे में भद्रा दोषपूर्ण नहीं मानी जायेगी,
तो अपराह्न अभिजीत मुहूर्त से प्रदोषकाल (गोधुलि बेला) शुभ मुहूर्त मै रक्षाबन्धन कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।
3.) रक्षाबंधन के विशेष शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त-दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
अमृत काल-शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्-सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक
4.) भद्राकाल में राखी बांधना वर्जित क्यों
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं। ऐसी मान्यता है जब माता छाया के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ तो समूची सृष्टि में तबाही होने लगी थी, एक अन्य कथा है। रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी जिस कारण से रावण के साम्राज्य का विनाश हो गया था इस कारण से भी भद्राकाल के दौरान राखी नहीं बांधी जाती है।
5.) रक्षाबंधन पर है इन योगों का शुभ संयोग
इस बार रक्षा बंधन के दिन महा शुभ योग बन रहे हैं. 10 अगस्त को शाम 07 बजकर 35 मिनट से 11 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 31 आयुष्मान योग रहेगा. 11 अगस्त को सुबह 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 06 बजकर 53 मिनट तक रवि योग रहेगा. इसके साथ 11 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट से अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 33 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा।