रोजाना24न्यूज: देशभर में भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. माता पार्वती के पुत्र गणेश जी का इसी दिन जन्म हुआ था इसकी धूम देश विदेश में सभी जगह देखने को मिलती है. इस मौके पर गणपति पंडाल सजाए जाते हैं और लोग अपने घरों में मंगलमूर्ति गणपति जी के स्थापना करते हैं. गणेश महोत्सव 10 दिनों तक चलता है और लोग अपनी सुविधा के अनुसार 3 दिन 5 दिन एवं 7 दिन या 10 दिन के लिए गणपति को लेकर आते हैं, सच्ची श्रद्धा, भक्ति भाव से रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति बप्पा की पूजा अर्चना, उपासना करते हैं गौरी पुत्र गजानन सारे विघ्नहर कर सुख समृद्धि सर्वस्व प्रदान कर देते हैं।
क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी का त्योहार
एक पौराणिक कथा के मुताबिक महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश जी से महाभारत की रचना को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी. जिसके बाद गणेश चतुर्थी के दिन ही व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणेश जी ने उसे लिपिबद्ध करना शुरू किया था. बिना रूके 10 दिन तक लगातार लेखन किया और 10 दिनों में गणेश जी पर धूल-मिट्टी की परत चढ़ गई. गणेश जी इस परत को साफ करने के लिए 10 वें अनंत चतुर्दशी के दिन सरस्वती नदी में स्नान किया था,
विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन क्यों निषेध
भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित कर दिया तो वे गजवदन कहलाए और माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण प्रथम पूज्य हुए। इससे समस्त देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा अहंकार वश मंद-मंद मुस्कुराता रहा। उसे अपने सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमानवश उनका उपहास कर रहा है। क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि तुम कुरूप काले हो जाओगे।
ओर जो कोई भी भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर चोरी का झूठा आक्षेप कलंक लगेगा। इसीलिए भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं किया जाता।
मिथ्या कलंक,आक्षेप से बचने के लिए करें यह उपाय
कलंक चतुर्थी के दिन यदि अनजाने में चंद्र के दर्शन हो भी जाएं तो इससे बचने के लिए छोटा सा कंकर या पत्थर का टुकड़ा लेकर किसी की छत पर फेंके। ऐसा करने से चंद्र दर्शन से लगने वाले मिथ्या कलंक से बचाव हो जाता है। इसलिए इस चतुर्थी को पत्थर चौथएवं कलंक चौथ भी कहते हैं।
गणेश चतुर्थी पर भूल से भी चंद्र दर्शन ना करें
भगवान श्री कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र का दर्शन कर लिया था जिससे उन पर भी स्यामन्तक मणि चोरी का झूठा आरोप लगा था। पुराणों के अनुसार इस मंत्र को पढ़ने से चंद्र दर्शन का दोष नहीं लगता है।
मंत्र –
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यामन्तक:।।
गणेश जन्मोत्सव पर हैं कई शुभ संयोग
इस दिन चित्रा नक्षत्र, शुक्ल योग, रवि योग एवं ब्रह्म योग का भी संयोग है पंचांग के अनुसार कन्या और तुला राशि का प्रभाव रहेगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र और मध्यरात्रि के बाद स्वाति नक्षत्र प्रभाव में रहेगा. पंचांग के अनुसार बुध ग्रह अपनी मूल राशि में रहेगा. कन्या बुध ग्रह की उच्च राशि मानी जाती है, बुध, बृहस्पति, शनि और सूर्य चारों महत्वपूर्ण ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थिर रहेंगे।
नया व्यवसाय शुरू करने का शुभ दिन
गणेश चतुर्थी के दिन रवि योग भी एक सुखद संयोग लेकर आ रहा है. यह पावन पर्व सौभाग्य चतुर्थी के रूप में भी मनाया जाता यह मुहूर्त नया काम शुरू करने, खरीदने, बेचने और व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है.
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू –
30 अगस्त 2022, दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि खत्म 31 अगस्त 2022, दोपहर 3.22 मिनट तक
🔥गणेश स्थापना मुहूर्त 🔥- 11.05 AM – 1.38 PM (31 अगस्त 2022, बुधवार)
🔥रवि योग 🔥- 31 अगस्त 2022, 06.06 AM – 1 सितंबर 2022, 12.12 AM
🔥अनंत चतुदर्शी 🔥- 9 सितंबर 2022 (गणेश विसर्जन )
🔥गणेश जी का परिवार🔥
गणेशजी के माता-पिता : पार्वती और शिव।
गणेशजी के भाई : श्रीकार्तिकेय
गणेशजी की पत्नियां : ऋद्धि, शिद्धि।
गणेशजी के पुत्र : शुभ और लाभ इनकी पत्नियां टुष्टी,और पुष्टि, गणेश जी के पोते ,आमोद और प्रमोद
🔥गणेशजी का जप मंत्र 🔥
ॐ गं गणपतये नम: है।
🔥गणेशजी की पसंदीदा वस्तु 🔥
गणेशजी को बेसन लड्डू ,मोदक,केला, हल्दी,सिंदूर लाल,पीले पुष्प,शमी पत्र,दूर्वा एवं दुर्वा की माला पसंद हैं।
🔥 गणेशजी की प्रार्थना के लिए गणेशजी के 12 प्रमुख नाम 🔥
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।
🔥 गणेश जी की अप्रिय वस्तु🔥
तुलसी,केतकी के फूल,टूटे हुए चावल,सफेद जनेऊ,सफेद पुष्प,
🔥गणेश जी की कैसी मूर्ति घर में लाऐं🔥
गणेश जी की मूर्ति मिट्टी की होना चाहिए
मूर्ति की सूडं बाई तरफ झुकी होनी चाहिए
मूर्ति में चूहा अवश्य होना चाहिए,
संतान की कामना के लिए बाल गणेश की मूर्ति लाएं,
🔥गणेश जी को तुलसी क्यों अप्रिय है🔥
ऐसा कहा जाता है कि एक बार गणेश जी समुद्र तट पर तपस्या कर रहे थे. तब तुलसी ने गणेशजी को तपस्या के बीच मै ही विवाह का प्रस्ताव दिया, जिससे गणेश जी की तपस्या भंग हो गई और गणेश जी क्रोधित हो गए और विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया. इस पर तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया कि आपने मुझसे विवाह के लिए मना किया है इसलिए आपके एक नहीं दो विवाह होंगे ।
🔥गणेश चतुर्थी पर बुधवार का विशेष संयोग🔥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब गणेश जी का जन्म हुआ था, उस समय कैलाश पर बुध देव भी उपस्थित थे. तभी से गणेश पूजन के लिए बुध देवता को अति विशेष महत्व दिया गया, बुधवार के दिन गणेश पूजन से अमंगल दूर हो जाते है।