रोजाना24न्यूज: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद 15 वें दिन राधाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है. राधारानी का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाते हैं.
इस वर्ष राधाष्टमी सर्वार्थ सिद्धि योग में है. इसके साथ ही रवि योग भी बना हुआ है.
राधा जी का जन्म मथुरा के रावल गांव में भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को हुआ था.
भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधारानी का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाते हैं. इस दिन को राधाष्टमी के रूप में मनाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद 15वें दिन राधाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी श्रीकृष्ण से 11 माह 15 दिन बड़ी थीं. राधा जी के जन्मदिवस पर पूरे देश में उत्सव मनाया जाता है. इस दिन बरसाना में राधा रानी का मंदिर तो विशेष रूप से सजाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के सांथ राधारानी का श्रृंगार, आरती और पूजन किया जाता है.कहते हैं कुंवारे लड़का लड़की मन इच्छित जीवनसाथी की कामना के उद्देश्य
से जुगल जोड़ी सरकार राधा कृष्ण की एक साथ पूजा करते हैं उनको अपनी इच्छा केअनुरूप जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनका जीवन अत्यंत प्रेम स्नेह के साथ आनंदपूर्ण वैवाहिक जीवन का निर्वाह करते हैं,उनके जीवन में सदैव खुशहाल,मधुरता बनी रहती है,
महर्षिआश्रम देवीतालाव मन्दिर के ज्योतिषाचार्य राजकिशोर शर्मा बताते हैं कि इस साल 03 सितंबर दिन शनिवार को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 04 सितंबर रविवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर होगा. ऐसे में राधाष्टमी 04 सितंबर को मनाई जाएगी.
सर्वार्थ सिद्धि योग में राधाष्टमी
इस वर्ष राधाष्टमी सर्वार्थ सिद्धि योग में है. इसके साथ ही रवि योग भी बना हुआ है. और मध्य दोपहार से प्रीति योग भी है. सर्वार्थ सिद्धि योग रात 09 बजकर 43 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 01 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग के समय तक रवि योग भी रहेगा.
प्रीति योग दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और यह अगले दिन सुबह 11 बजकर 28 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यो में सफलता प्रदान करने वाला है और रवि योग अमंगल को दूर करता है. ये तीनों ही योग पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं.
इस दिन का शुभ समय या अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इस दिन राहुकाल शाम को 05 बजकर 05 मिनट से शाम 06 बजकर 39 मिनट तक है.
राधाष्टमी का महत्व
राधा जी का जन्म मथुरा के रावल गांव में वृषभान जी और उनकी पत्नी कीर्ति के घर भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को हुआ था. राधाष्टमी के दिन पूजा करने और व्रत रखने से सुख, शांति और समृद्धि के साथ माता लक्ष्मी की कृपा होती है.
महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ 4 सितम्बर से 17.2022 सितम्बर तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो जाते हैं और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलते हैं। धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित ये व्रत 16 दिन के होते हैं। इस साल ये व्रत 4 सितंबर 2022 से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे। महालक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए विधि अनुसार किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किए गए व्रत, पूजा और उपाय बहुत जल्दी असर दिखाते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से जातक को अक्षय, सुख, बैभ़व, बेशुमार धन-दौलत मिलती है।