रोजाना24न्यूज: महानगर के सिविल अस्पताल की व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि ईलाज करवाने आए मरीजों को ना ही दवाइयां मिल रही है और ना ही उनका ईलाज किया जा रहा है। आप सरकार भले ही सत्ता में आने के बाद बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन इसकी सिविल अस्पताल में असलीयत कुछ और ही बयां हो रही है।
दरअसल, अस्पताल में ईलाज करवाने आ रहे क्रिटिकल मरीजों को तुरंत अमृतसर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जा रहा है। पिछली रात भी एक बच्चा सीरियस कंडीशन में लेकर मां-बाप जब अस्पताल में पहुंचे तो एक रात्रिकालीन स्टाफ ने बच्चे का इलाज करने की बजाय सीधे उसे अमृतसर रेफर कर दिया। स्टाफ की ओर से मां-बाप को बोला गया कि उनके पास आक्सीजन का प्रबंध नहीं है। बच्चे के मां-बाप ने कहा कि वह बहुत गरीब हैं। सिविल अस्पताल में इसलिए ही आए थे कि उन्हें इलाज मिल जाएगा, लेकिन किसी ने भी उनके बच्चे की सुध नहीं ली। इसी तरह एक अन्य पीड़ित ने बताया कि उनकी पत्नी की अस्पताल में डिलीवरी हुई है। अस्पताल के स्टाफ ने दवाइय़ों की एक लिस्ट उसे थमा दी है। बाहर से 7 हजार रुपए का सामान खड़े पांव उसे लाकर देना पड़ा।
एम्बुलेंस के चालकों ने भी बोला कि मरीजों को यह कहकर अमृतसर रेफर कर दिया जाता है कि वहां पर आपका सारा इलाज फ्री है, लेकिन जब मरीजों को वहां पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो वह गालियां निकालते हैं। यह सब उन्हें मौके पर सुनना पड़ता है। मरीजों को लेकर जाने वाली 108 एम्बुलेंस चालकों ने बताया कि सिविल अस्पताल जालंधर की हालत यह है कि वह अभी एक मरीज को अमृतसर छोड़कर वापस पहुंचते ही हैं कि उन्हें दोबारा फिर से अमृतसर के लिए भेजा जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टरों की निजी अस्पताल वालों से साठगांठ है। यदि कोई मरीज पैसे खर्च करने वाला हो तो उसे निजी अस्पताल में भेज देते हैं और यदि कोई मरीज गरीब हो तो उसे अमृतसर रेफर कर दिया जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग की है कि यदि अस्पताल में मरीजों का इलाज ही नहीं है। यहां पर दवाइयों का प्रबंध नहीं है तो फिर ऐसे अस्पताल का कोई फायदा नहीं है। इसे बंद कर देना चाहिए। इतना अस्पताल मात्र रेफरल यूनिट बना हुआ है।