लुधियाना: पंजाब के उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों के लिए चलाई जा रही सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग के बाद वो नतीजे नहीं देखने को मिल रहे हैं, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। सरकारी कॉलेजों में चल रहे ऑनलाइन एडमिशन प्रोसेस के मुताबिक अब तक मेरिट सूची के मुताबिक 35 फीसदी ने भी राज्य भर में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन नहीं ली है।वहीं, विभाग की तरफ से अब तक फीस जमा करने की तारीख बढ़ाने के बारे में भी कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है।
ऐसे में सोमवार से ऑनलाइन ओपन काउंसलिंग की शुरुआत हो जाएगी। वहीं, अब तक ये भी स्पष्ट नहीं कि विभाग की तरफ से कॉलेजों के मुताबिक पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों में खाली सीटों की घोषणा वेबसाइट पर की जाएगी या अंडरग्रेजुएट कोर्स की तरह कॉलेज स्तर से ही स्टूडेंट्स को लिंक भेजे जाएंगे, क्योंकि अब तक पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन की स्थिति सही नहीं दिख रही है।
मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद पहले ही 31 फीसदी तक सीटें खाली रहने की स्थिति बन रही थी, लेकिन अब कम एडमिशन के चलते अब तक सिर्फ 35 फीसदी स्टूडेंट्स ने ही दाखिला लिया है। ऑनलाइन ओपन काउंसलिंग 19 सितंबर को शुरू होगी। इसके तहत 23 सितंबर तक स्टूडेंट्स दाखिला ले सकेंगे।
राज्य भर में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में 6596 सीटें हैं। इनमें से 3840 सीटों के लिए आवेदन आए। इनमें भी कई स्टूडेंट्स ने एक से ज्यादा कोर्स के लिए अप्लाई किया। विभाग ने शनिवार तक पहली मेरिट लिस्ट के मुताबिक फीस जमा करवाने का समय दिया था, लेकिन रात 8.30 बजे तक 1384 ने ही दाखिला लिया है।
यानी राज्य भर में सिर्फ 20 फीसदी ही सीटें भरी हैं। माहिरों के मुताबिक ये आंकड़ा चिंताजनक है। ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के बजाए स्टूडेंट्स विदेश जाने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। वहीं, रोजगार के अवसर भी न मिलना बड़ी समस्या है।
कॉलेजों में सीटें खाली रहना चिंताजनक है, लेकिन ये भी है कि कुछ सालों से कॉलेजों, सीटें और कोर्सों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में स्टूडेंट्स के पास मौके ज्यादा हो गए हैं, लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी के कारण युवा इस सोच में हैं कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उनके लिए रोजगार का क्या अवसर है। हर स्तर पर निजीकरण हो रहा है। सरकारी कॉलेजों में कई सालों से टीचिंग पोस्ट खाली हैं। एडेड कॉलेजों में ठेके पर स्टाफ आ रहा है। जब कॉन्ट्रेक्ट या एडहॉक पर स्टाफ होगा तो युवाओं का विश्वास नहीं बन पाता और भविष्य भी सुरक्षित नहीं लगता। सरकार को चाहिए कि कॉलेजों में कोर्स देने से पहले दूसरे कॉलेज के बीच की दूरी को देखा जाए, ताकि किसी को भी परेशानी न आए।