रोजाना24न्यूज: नवरात्रि सोमवार के दिन शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भभुत संयोग बनने के कारण इसे बेहद खास माना जा रहा है। इस साल नवरात्रि पर माता दुर्गा स्वर्ग लोक से गज की सवारी करते हुए पूरे 9 दिनों तक पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच रहेंगी उन्हें आशीर्वाद प्रदान करेंगी मां की सवारी को बेहद शुभ माना जा रहा है अतिवृष्टि वर्षा लेकर आयेगी और मां शक्ति भवानी नौका पर प्रस्थान करेंगी जिससे अपनों भक्तों की झोलियां भर कर आनंदयुक्त खुशियां देकर जाएंगी।
स्थापना का शुभ मुहूर्त
26 सितंबर,सोमवार 2022
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06.11 से प्रातः 07.51 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक
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नवरात्रि का पर्व क्यों मनाते हैं
नवदुर्गा का पर्व बुराई का प्रतीक दैत्य महिषासुर का वध कर मां भगवती ने विजय दिलाई, बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है,यह महायुद्ध लगातार विना रुके दिन रात 9 दिनों तक चला था इसलिए नवरात्रि के रूप में मनाते हैं।
शारदीय नवरात्र में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विधिपूर्वक नौ दिनों तक मां की आराधना करने से भक्तों की मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं, इन नौ दिनों में वैदिक विद्वानों के दुर्गा सप्तशती का पाठ पूजन कराएं जिससे मंत्रों के सही उच्चारण से पूजन एवं पाठ पूर्ण होने पर स्वतः ही सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं भक्त शुद्धता के साथ मनोयोग से मां की आराधना कर सुख समृद्धि शकल कामना सिद्धि का वरदान प्राप्त कर सकते हैं,माता अपने भक्तों का सर्वदा कल्याण करती है।
साल में चार नवरात्रि कब कब आती हैं
हिंदू धर्म के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है।
देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है।
चैत्र मास,आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है, सनातन वैदिक रीति के अनुसार माता दुर्गा की साधना,आराधना,भक्ति करके दैवीय शक्ति से जनमानस के कल्याण एवं उद्धार का विधान निश्चित किया गया है।
इन दोनों नवरात्रियों को क्रमश: वसंत व शारदीय नवरात्र एवं प्रकट नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से गुप्त सिद्धियां पाने के लिए शिव व शक्ति की विशेष साधना उपासना कर चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करते हैं।
पूजा के लिए उत्तम एवं शुभ स्थान
उत्तर,पूर्व,एवं,उत्तर-पूर्व दिशा का मध्य ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है,इसी दिशा में कलश की स्थापना करनी चाहिए,और शास्त्रों में कलश पर नारियल कैसे रखे यह सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य मुख्य बात कही गई है,
“अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।।”
कलश पर नारियल का मुख नीचे की तरफ होने से,शत्रुओं की वृद्धि होती है,ऊपर मुख होने से अनेकानेक रोग उत्पन्न होते हैं,पीछे की तरफ होने से धन की हानि होती है,और सामने मुख होने से शुभ मंगलकारी,समूल कार्यो की सिद्धि दायक होता है, नारियल को चावल से भरे पूर्ण पात्र के ऊपर ही रखना चाहिए।
शारदीय नवरात्रि में माँ के स्वरूपों में शुभ योग
प्रथम दिन माँ शैलपुत्री देवी सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग
द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी देवी
तृतीय दिवस चंद्रघंटा देवी
चतुर्थ दिवस कुष्मांडा देवी रवि योग
पंचम दिवस स्कंदमाता देवी सर्वार्थ सिद्धि योग
षष्ठम दिवस कात्यायनी देवी रवि योग
सप्तम दिवस कालरात्रि देवी सर्वार्थ सिद्धि योग
अष्टम दिवस महागौरी देवी रवि योग
नवम दिवस सिद्धिदात्री देवी