रोजाना24न्यूज: अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, भैया दूज के संगम का है आज महा पर्व, इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उनकी शत्रुओ से रक्षा एवं धन, यश, बल, लंबी उम्र, उन्नति और मंगल जीवन की कामना करती हैं, भाई उन्हें उपहार देते हैं। भ्रातृ द्वितीया का पर्व 26 को ही मनाना श्रेष्ठ है हमारे धर्म ग्रंथों में पूर्व में ही निर्णय दिया गया है, मध्याह्न व्यापिनी द्वितीया पूर्व वृद्धा में भाई दूज का पर्व मनाना शुभ व श्रेष्ठ है।
भ्रातृ द्वितीया सा पूर्वविद्धा अपराह्न व्यापिनी ग्राह्या
भाई दूज का पर्व बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट भी है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच परस्पर अटटू प्रेम समर्पण और विश्वास पवित्रता रिश्तों की खूबसूरती को दर्शाता है।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
द्वितीया तिथि शुरू-26 अक्टूबर 2022, दोपहर 02.42
द्वितीया तिथि समाप्त-27 अक्टूबर 2022, दोपहर 12.45
शुभ मुहूर्त-दोपहर 01.12-दोपहर 03.27
विजय मुहूर्त-दोपहर 02:03-दोपहर 02:48
गोधूलि मुहूर्त-शाम 05:49-शाम 06:14
भाई दूज पर तिलक लगाने का मंत्र
चंदनस्य महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम ।
आपदं हरते नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ।।
यमुना जी में स्नान से नहीं होती है अकाल मृत्यु
भाई दूज वाले दिन यमुना नदी में स्नान का खास महत्व है यम द्वितीया के दिन भाई बहन एक साथ यमुना जी में स्नान करते हैं उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती है,और मृत्यु के पश्चात वह यमलोक नहीं जाता है।
भैया दूज की पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य नारायण और संज्ञा के दो संतानें- एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना थी। छाया से ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ था, यम और यमुना दोनों भाई-बहन में बहुत स्नेह था।
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन बहिन यमुना के आमंत्रण पर यमराज उनके घर गए, यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट अनेक व्यंजनों से यमराज को भोजन कराया। इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने को कहा यमुना ने कहा कि हे भद्र! इस दिन जो भी बहिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के घर गए सुभद्रा ने श्री कृष्ण का विजय तिलक लगाकर स्वागत सत्कार किया भोजन कराया, तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
गोवर्धन पूजा की कथा
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है इसे लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया। तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा भी चली आ रही है।