रोजाना24न्यूज: कथा के अनुसार द्वापर युग की शुरुआत कार्तिक शुक्ल नवमी को हुई थी, यह युगादि तिथि है। आज के ही दिन श्री विष्णु ने कुष्मांडक दैत्य को मारा था। जिसके रोम से कुष्मांड-सीताफल की बेल निकली थी, देखा जाए तो यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है, इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता व सुख -समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन किया गया तप, जप , दान इत्यादि व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त कर मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का वास होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की, उस पूजा से श्री हरि विष्णु एवं शिव जी प्रसन्न हुए मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन कराया इस वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से रोगों का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया पुण्य अक्षय,अनन्त होता है वह कभी समाप्त नहीं होता है, मां लक्ष्मी की कृपा अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है,और सदा सदा के लिए उनके घर में वास करती है।
पूजा विधि
सूर्योदय से पूर्व स्नान करके शुभ मुहूर्त में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है, आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत, पुष्प, गंध आदि से पवित्र आंवले के वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। कथा श्रवण कर कपूर से आरती करें, तत्पश्चात आंवले के वृक्ष की सूत बांधकर सात परिक्रमा करने करें।
धार्मिक ग्रंथों में आंवले का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार पवित्र आँवला भगवान श्री विष्णु को अतिप्रिय है। इसके सेवन मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है,रस पीने से धर्म -संचय होता है,और उसके जल से स्नान करने से दरित्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। आंवले का दर्शन, स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। जहां आंवले का फल मौजूद होता है, वहां से नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है और वहाँ पर श्री हरि, सदा विराजमान रहते हैं।
आंवला नवमी के पूजन का शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी तिथि प्रारंभ -01- नवंबर रात-11, 04 से 02-नवम्बर रात 09 बजकर 09 तक।
पूजा का मुहूर्त-सुबह 06 बजकर 34-दोपहर 12.04
अभिजित मुहूर्त-सुबह 11:55 -दोपहर 12:37
आंवला के वृक्ष में होता है देवताओं का वास
पद्मपुराण के अनुसार आंवले का वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। अनुसार आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है. इसकी उपासना करने वाले व्यक्ति के समस्त रोग,पाप,नकारात्मक ऊर्जा,नष्ट हो जाती हैं,एवं धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है।