Jiरोज़ाना 24 न्यूज : साल 10 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगाहिंं धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। यह श्रेष्ठ एवं उत्तम माना जाता है 1 वर्ष में कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की 24 एकादशी आती है किंतु इन सब एकादशियों में सबसे बड़ी फलदाई ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी को माना जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति पूरे साल एकादशी के व्रत ना रख सके और सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करने से संपूर्ण 24 एकादशियौं के संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है और भी विशेष फल मिलता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के बारे में बताया था। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन बिना जल पिए व्रत करने से इसे निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है।
🔥क्यों मनाई जाता है निर्जला एकादशी🔥
हिंदू मान्यता के अनुसार एक बार की बात है। जब वेदों के रचयिता वेदव्यास पांडवों के गृह कुशलक्षेम के लिए पधारे। तब महाबली भीम ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। हालांकि, वेदव्यास ने अपने तपोबल से भीम की व्यथा जान ली। उस समय वेद व्यास ने उनसे पूछा- हे महाबली तुम्हारे मन में कैसे विचार उमड़ रहे हैं? क्यों चिंतित दिख रहे हो।
तब महाबली भीम ने वेदव्यास से अपने मन की व्यथा सुनाई। उन्होंने कहा- हे पितामह आप तो सर्वज्ञानी हैं, आप तो जानते हैं कि घर में सभी लोग एकादशी का व्रत करते हैं, लेकिन मैं कर नहीं पाता हूं, क्योंकि मैं भूखा नहीं रह सकता हूं। मुझे कोई ऐसा व्रत विधि बताएं, जिससे करने से मुझे सभी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्ति हो! उस समय वेदव्यास जी ने भीम से कहा- हे महाबली तुम्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने के समान होता है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है। इस व्रत के रखने से मनुष्य को स्वर्ग मौक्ष की प्राप्ति होती है यम के दूत उसके कभी भी समीप नहीं आते हैं जीवन से सभी दुख कष्ट वधायें दूर हो जाती हैं। इस व्रत पारणा में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य राज किशोर शर्मा राज गुरुजी के अनुसार, 10 जून 2022 शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी प्रात: 7.27 बजे तक, उपरांत एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। 11 जून 2022,को एकादशी प्रात: 5.46 बजे तक है,पश्चात द्वादशी तिथि है ,इसलिए निर्जला एकादशी व्रत गृहस्थ जनों का 10 जून के दिन रखा जायेगा। हालांकि निर्जला एकादशी व्रत पारणा 11 जून, शनिवार को करना उत्तम व फलदायी रहेगा।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु को पीली रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
भगवान विष्णु को पीली रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इस व्रत को जो भी विधि पूर्वक करता है उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। इस व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
🔥निर्जला एकादशी पर किन बातों का रखें ध्यान🔥
इस व्रत में पानी पीना भी वर्जित होता है।
अन्न एवं फलों का व्रत में सेवन नहीं किया जाता है।
इसलिए अगर आप बीमार हैं तो इस व्रत को करने से परहेज करें।
व्रत के बाद पारण में तामसिक, मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
मदिरा, समेत अन्य नशे से भी दूर रहें।
🔥व्रत में क्या करें🔥
व्रत के दिन प्यासे लोगों को पानी शरबत,शिकंजी,पिलाएं।
व्रत के दिन छत पर या अन्य खुले स्थान पर पशु-पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करें।
व्रत के दिन मानसिक तौर पर स्वयं को मजबूत रखें. क्योंकि यह व्रत मानसिक मजबूती और दृढ़ प्रतिज्ञा से ही संभव है।
व्रत में क्रोध ना करें आत्म संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
व्रत पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ जरूर करें।
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन जल से भरा हुआ कलश पंखा शर्वत, फल,वस्त्र का दान करें।रोज़ाना 24 न्यूज : साल 10 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। यह श्रेष्ठ एवं उत्तम माना जाता है 1 वर्ष में कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की 24 एकादशी आती है किंतु इन सब एकादशियों में सबसे बड़ी फलदाई ज्येष्ठ शुक्ल की निर्जला एकादशी को माना जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति पूरे साल एकादशी के व्रत ना रख सके और सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करने से संपूर्ण 24 एकादशियौं के संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है और भी विशेष फल मिलता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के बारे में बताया था। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन बिना जल पिए व्रत करने से इसे निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है।
🔥क्यों मनाई जाता है निर्जला एकादशी🔥
हिंदू मान्यता के अनुसार एक बार की बात है। जब वेदों के रचयिता वेदव्यास पांडवों के गृह कुशलक्षेम के लिए पधारे। तब महाबली भीम ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। हालांकि, वेदव्यास ने अपने तपोबल से भीम की व्यथा जान ली। उस समय वेद व्यास ने उनसे पूछा- हे महाबली तुम्हारे मन में कैसे विचार उमड़ रहे हैं? क्यों चिंतित दिख रहे हो।
तब महाबली भीम ने वेदव्यास से अपने मन की व्यथा सुनाई। उन्होंने कहा- हे पितामह आप तो सर्वज्ञानी हैं, आप तो जानते हैं कि घर में सभी लोग एकादशी का व्रत करते हैं, लेकिन मैं कर नहीं पाता हूं, क्योंकि मैं भूखा नहीं रह सकता हूं। मुझे कोई ऐसा व्रत विधि बताएं, जिससे करने से मुझे सभी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्ति हो! उस समय वेदव्यास जी ने भीम से कहा- हे महाबली तुम्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने के समान होता है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है। इस व्रत के रखने से मनुष्य को स्वर्ग मौक्ष की प्राप्ति होती है यम के दूत उसके कभी भी समीप नहीं आते हैं जीवन से सभी दुख कष्ट वधायें दूर हो जाती हैं। इस व्रत पारणा में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है।
ज्योतिषाचार्य राज किशोर शर्मा राज गुरुजी के अनुसार, 10 जून 2022 शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी प्रात: 7.27 बजे तक, उपरांत एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। 11 जून 2022,को एकादशी प्रात: 5.46 बजे तक है,पश्चात द्वादशी तिथि है ,इसलिए निर्जला एकादशी व्रत गृहस्थ जनों का 10 जून के दिन रखा जायेगा। हालांकि निर्जला एकादशी व्रत पारणा 11 जून, शनिवार को करना उत्तम व फलदायी रहेगा।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु को पीली रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
भगवान विष्णु को पीली रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इस व्रत को जो भी विधि पूर्वक करता है उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। इस व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
🔥निर्जला एकादशी पर किन बातों का रखें ध्यान🔥
इस व्रत में पानी पीना भी वर्जित होता है।
अन्न एवं फलों का व्रत में सेवन नहीं किया जाता है।
इसलिए अगर आप बीमार हैं तो इस व्रत को करने से परहेज करें।
व्रत के बाद पारण में तामसिक, मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
मदिरा, समेत अन्य नशे से भी दूर रहें।
🔥व्रत में क्या करें🔥
व्रत के दिन प्यासे लोगों को पानी शरबत,शिकंजी,पिलाएं।
व्रत के दिन छत पर या अन्य खुले स्थान पर पशु-पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करें।
व्रत के दिन मानसिक तौर पर स्वयं को मजबूत रखें. क्योंकि यह व्रत मानसिक मजबूती और दृढ़ प्रतिज्ञा से ही संभव है।
व्रत में क्रोध ना करें आत्म संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
व्रत पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ जरूर करें.
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन जल से भरा हुआ कलश पंखा शर्वत, फल,वस्त्र का दान करें।