रोपड़ः पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एलान किया है कि पिछली सरकारों के सभी बिजली खरीद समझौतों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति पंजाब और पंजाबियों के साथ गद्दारी करता है उसे बख्शा नहीं जाएगा। वह रोपड़ में झारखंड के पछवारा खदान से पहुंची पहली कोयले से भरी मालगाड़ी का स्वागत करने पहुंचे थे। सीएम ने कहा कि पंजाब बिजली सरप्लस राज्य बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है क्योंकि राज्य के किसी भी थर्मल प्लांट को कोयले की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब पंजाब के लिए निर्धारित पछवारा कोयला खदान से कोयले की आपूर्ति शुरू हो गई है और इस खदान में राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कोयला है।
भगवंत मान ने बताया कि इस खदान की कुल क्षमता 70 लाख टन सालाना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में पंजाब के थर्मल पावर प्लांटों के लिए विदेश से कोयला आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली वर्तमान में विकास और प्रगति का मुख्य आधार है। इसलिए सरकार इसका उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य को तेजी से औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने में मदद मिलेगी। इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। राज्य के लिए चिह्नित पछवारा कोयला खदान से कोयले की पहली रैक आने का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब पंजाब देश में सरप्लस बिजली वाला अकेला राज्य बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि धान के पिछले सीजन के दौरान पंजाब ने पिछले साल की तुलना में 83 प्रतिशत अधिक बिजली का उत्पादन किया। सीएम ने उम्मीद जताई कि पछवारा खदान से कोयले की आपूर्ति शुरू होने से बिजली उत्पादन कई गुना बढ़ जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पछवारा कोयला खदान राज्य को आवंटित की गई थी लेकिन 2015 से यह बंद पड़ी है। उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन पिछली सरकारों ने कोयले की आपूर्ति बहाल करने पर कोई ध्यान नहीं दिया। भगवंत मान ने कहा कि हमारी सरकार ने सत्ता में आते ही मार्च 2022 में इस मामले को उठाया और मामले का सही तरीके से पालन करते हुए कोयले की आपूर्ति बहाल कर दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयले की आपूर्ति फिर से शुरू होने के साथ पीएसपीसीएल सालाना 600 करोड़, जबकि घरेलू कोयले पर पूर्ण निर्भरता से 520 करोड़ रुपये की और बचत होगी। इसके अलावा निजी कंपनियों को सरप्लस कोयले की आपूर्ति से 1,500 करोड़ रुपये और जुटाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पछवारा खदान के कोयले में राख की मात्रा मात्र 32 प्रतिशत है, जबकि अन्य स्रोतों से प्राप्त कोयले में 41 प्रतिशत राख है।