रोजाना24न्यूज़: जालंधर का किला मोहल्ला अपने आप में समृद्ध इतिहास समेटे हुआ है। महाभारत काल से लेकर महाराजा रणजीत सिंह और स्वामी दयानंद के काल का साक्षी रहे इस मोहल्ला में भले ही ऐतिहासिक इमारतें आज खंडहर बनती जा रही है लेकिन यहां की अमीर विरासत आज भी शहर का आधार है।
किला मोहल्ला यह सिर्फ एक नाम ही नहीं बल्कि अपने आप में एक इतिहास है। आज भी जालंधर का आधार किला मोहल्ला को ही माना जाता है। 20 से 30 साल पहले का ही जिक्र करें तो आधुनिक युग की राजनीति का केंद्र बिंदु भी किला मोहल्ला ही रहा है।
इतिहासकार तो इसे महाभारत काल से भी जोड़ते हैं लेकिन अब की बात करें तो इसका समृद्ध इतिहास रहा है और शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह से इसका इतिहास जुड़ता है। किला मोहल्ला एक ऊंचे टीले पर बसा छोटा सा शहर हुआ करता था। कहते हैं कि तब दरियाओं में आने वाली बाढ़ की मार बहुत अधिक थी और बाढ़ से बचाव के लिए ऊंचे टीले को शहर के रूप में विकसित किया गया था। आज भी यहां पर कई इमारतें इस बात की गवाह है मोहल्ला अपने आप में बहुत कुछ समेटे है। यहां की इमारतों पर नक्कशी और कला यहां की समृद्धि बयान करती हैं।
कहते हैं कि यहां कभी एक बड़ा किला था और इसी के अंदर पूरा शहर बसा था। हालांकि अब किले के कोई नामोनिशान नहीं है लेकिन इतिहास में दर्ज बातें और मोहल्ले का नाम इस बात का साक्षी है कि यहां कभी राजाओं का राज रहा है। आजादी के आसपास यहां पर काजी मोहल्ला भी इसका हिस्सा था और काजी की हवेली काफी मशहूर थी। तब काजी ही शहर को नियंत्रित करता था। आज भी इसके निशान यहां मौजूद हैं। काजी की हवेली का एक हिस्सा आज भी आकर्षण का केंद्र है। किला मोहल्ला के अंदर एक छोटा सा महल भी हुआ करता था, जहां अब स्कूल बना हुआ है।
पहले 12 गेटों से होते हुए किला मोहल्ला तक पहुंचना पड़ता था
आज किला मोहल्ला आम पब्लिक की आबादी वाला है। पूरा इलाका छोटे-छोटे घरों में तब्दील हो चुका है। कभी किला मोहल्ला तक पहुंच के लिए 12 गेट होते थे। शहर में इन्ही 12 गेट के जरिए एंट्री होती थी। आजादी के बाद इलाका छोटे-छोट मोहल्लों का समूह बन गया। किला के बाहर के इलाके में भी आबादी बस गई थी जिसे कोट का नाम दिया गया था। किला मोहल्ला के अतिरिक्त तब शहर में 12 बस्तियां बन गईं थी।
किला मोहल्ला तक करीब 3 से 4 वर्ग किलोमीटर में बसा था लेकिन यहीं से बढ़ता गया शहर अब 135 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाके में फैल गया है। किला मोहल्ला में अब आधुनिक सीवरेज सिस्टम है। गलियां पक्की हैं लेकिन यह ऊंचा टीला पानी के रिसाव के कारण कई जगह से धंस रहा है। यहां की मिट्टी अब कमजोर हो रही हैं इसलिए निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ यही राय देते हैं कि अगर यहां नई इमारतें बनाई जाती हैं तो इनकी नींव काफी चौड़ी रखी जानी चाहिए।