नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो और नामी विश्वविद्यालयों ने भारत के कई राज्यों के विद्यार्थियों के दाखिले पर प्रतिबंध लगा दिया है। विक्टोरिया स्थित फेडरेशन यूनिवर्सिटी और न्यू साउथ वेल्स स्थित वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ने पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों को दाखिला न देने का फरमान जारी किया है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपने एजुकेशन एजेंट्स को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है। पिछले महीने भी पांच विश्वविद्यालयों ने ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था। विश्वविद्यालयों का आरोप है कि आवेदक स्टूडेंट वीजा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वे पढ़ाई के बजाय नौकरी को अधिक महत्व दे रहे हैं।
वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसार उनके यहां पर 2022 में कई भारतीय विद्यार्थियों ने दाखिले लिए लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इससे यूनिवर्सिटी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। जब विद्यार्थियों की अगले सत्र की फीस जमा नहीं हुई तो पता चला कि वे पढ़ाई से किनारा कर चुके हैं। ऐसा करने वालों में ज्यादातर विद्यार्थी पंजाब, गुजरात और हरियाणा से हैं। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मुद्रा के अनुसार न्यूनतम श्रमिक दर 1800 रुपये प्रति घंटा है। यह भी एक वजह है कि भारतीय विद्यार्थी वहां नौकरी करने लगते हैं। वहीं, कुछ रोजमर्रा का खर्च निकालने के लिए भी पार्ट टाइम जॉब करते हैं। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में एक लाख के करीब भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए गए थे।
स्टडी एबरॉड कंसल्टेंट एसोसिएशन (साका) के चेयरमैन सुकांत त्रिवेदी का कहना है कि कुछ भारतीय छात्रों की धोखाधड़ी का खामियाजा सभी विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। वहां लगातार फर्जी दस्तावेज लगाने या झूठी बैंक स्टेटमेंट बनाकर आवेदन करने के मामले सामने आ रहे हैं। विद्यार्थी विश्वविद्यालयों की जरूरी शर्तों का भी उल्लंघन कर रहे हैं। आवेदक इस बात पर सहमति देते हैं कि वे वीजा का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने या घूमने के लिए ही करेंगे और इसके बाद वापस स्वदेश चले जाएंगे लेकिन वहां काम करने लगते हैं।