रोजाना24न्यूज: गुप्त नवरात्रों में महानवमी के दिन ट्रस्ट महाकाली मंदिर में शतचंडी महायज्ञ पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ। यज्ञ की वसो धारा का नजारा देखने योग्य था श्रद्धालुओं में अटूट श्रद्धा भक्ति थी यज्ञ में सैलाब उमर पड़ा सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। दैनिक सवेरा के मुख्य संपादक एवं श्री देवी तालाब मंदिर के प्रधान शीतल विज, महासचिव राजेश विज, कैशियर परविंदर बहेल जी विशेष रूप से पधारे यज्ञ के सफल आयोजन की शुभकामनाएं एवं बधाई दी और कहा इस तरह के धार्मिक आयोजन होते रहना चाहिए। इससे समाज पर अच्छा प्रभाव जाता है सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है यज्ञ प्रकृति का पोषण करता है।
यज्ञाचार्य राधेश्याम शर्मा उप यज्ञाचार्य राज किशोर शर्मा, यज्ञ ब्रह्मा अशोक पाण्डेय, चंदन पाण्डेय, दुर्गेश शास्त्री अखंडाचार्य, हर्ष वशिष्ठ, अनिल शुक्ला, मूर्धन्य विद्वान, रामेश्वर दयाल शर्मा सभी विद्वानों ने शास्त्रोक्त विधि विधान से विधिवत पूजा अर्चना यजमानों से करवाई सभी ने मत्रों के उच्चाचरण की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
यज्ञ का महत्व
यज्ञ बहुत ही पवित्र अनुष्ठान है यज्ञ की सकारात्मक ऊर्जा से वातावरण एवं भूमि शुद्ध होती है एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण निर्मित होता है, जो साधक की आध्यात्मिक, सात्विक ऊर्जा की वृद्धि करता है यज में सम्मिलित होने वाले व्यक्ति प्रभु के अति प्रिय हो जाते हैं देवता शीघ्र प्रसन्न होकर साधक की समस्त मनोकामनाएं अति शीघ्र पूर्ण करते हैं जैसे विवाह, संतान, ग्रह क्लेश, शारीरिक रोग, कष्ट, पीड़ा, पितृदोष कारोबार संबंधित परेशानी आदि।
वेदों में लगभग 400 प्रकार के अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। इनमें से केवल 21 को अनिवार्य माना गया है उनमें से भी पांच यज्ञ बहुत ही महत्वपूर्ण है उन्हें ‘नित्यकर्म’ कहा गया है। बाकी ‘काम्य कर्म’ हैं, जो इच्छाओं की पूर्ति के लिए किए जाते हैं प्राचीन काल में राजा-महाराजा नियमित रूप से अश्वमेध और राजसूय यज्ञ करते थे, मंत्रों की शक्ति से राजा और प्रजा दोनों की उन्नति होती थी जिसके प्रभाव से सभी सुखी रहते थे।
पंच महायज्ञ अवश्य करने चाहिए
1. ऋषि यज्ञ
2. देव यज्ञ
3. पितृ यज्ञ
4. वैश्वदेव यज्ञ
5. अतिथि यज्ञ
यज्ञ का क्या है वैज्ञानिक महत्त्व
हवन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि हवन की सामग्री जलने से ऑक्सीजन का निर्माण होता है। वहीं हवन का धुंआ वायुमंडल को शुद्ध बनाता है जिससे मौजूद करीब 94% हानिकारक, खतरनाक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध होता है। वहीं सारा धुआं बाहर निकल जाने पर भी 24 घंटे तक जगह वातावरण में शुद्धता बनी रहती है, जिससे शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हवा व्यक्ति को महामारी जैसे रोगों से बचाती है।
आज के यजमान प्रवीण देवेश्वर, नरेंद्र सहजपाल, पीयूष, देवा माता श्री घरियाला, देवेंदर सहनी, अविनाश शर्मा, अश्वनी मिंट्टा, राघव धीर, पीयूष सैनी, हरपीत, हर गोपाल मनन, यश चढ्डा, अजय लाली, निखिल महाजन, रमेश, पुजारी करुणा शंकर आदि ने बड़ी श्रद्धा भक्ति कर्तव्य निष्ठा के साथ हवन यज्ञ किया।